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अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी गई...
लेकिन इसको लेकर उलमा ने मांग की है कि केंद्र सरकार ने साल 1991 में विवादित स्थल समेत जो 67 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी, उसी में से मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन दी जाए... मंगलवार को जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक और प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा... कि अगर कोर्ट के आदेश को मानते हुए सरकार हमें जमीन देना चाहती है तो 67 एकड़ अधिग्रहित जमीन में से ही देनी चाहिए... लेकिन14 कोस से बाहर जमीन दी गई तो वह कभी स्वीकार नहीं होगी... बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को सबसे बड़े फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक माना... जबकि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया... चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच की सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया गया... शनिवार सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर पहुंचे... वहीं पांच जजों ने लिफाफे में बंद फैसले की कॉपी पर दस्तखत किए और इसके बाद जस्टिस गोगोई ने फैसला सुनाया...