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राम मंदिर केस की उच्चतम न्यायालय में प्रतिदिन सुनवाई चल रही है। ऐसे में कई दलों के नेता बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे। इसी बात का संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नेताओं से बयानबाजी न करने की गुहार लगाई है। पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने समय भी निर्धारित कर दिया। अब निर्णय आने में बहुत दिन नहीं बचे हुए हैं, जिस पर प्रधानमंत्री ने संकेत किया।
कल प्रधानमंत्री मोदी ने नासिक में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआती सभा को संबोधित किया। इसी सभा में प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के मुद्दे को उठाया। आखिर क्या कारण है कि इसमें प्रधानमंत्री को गुहार लगानी पड़ रही है? इस दौरान प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राममंदिर के निर्माण को लेकर बयानबाजी करने वाले नेताओं को नसीहत देते हुए बयानबीरों से कहा कि देश की न्याय प्रणाली में आस्था रखें और प्रभु श्री राम की खातिर सुनवाई में अड़ंगा न डालें। उन्होने कहा कि राममंदिर पर सुनवाई चल रही है। सभी पक्ष अपनी दलीलें रख रहे हैं। उच्चतम न्यायालय समय निकाल कर सुन रहा है। मैं हैरान हूं कि वे आखिर क्यों बयानबाजी कर रहे हैं। क्यों अड़ंगे लगा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राममंदिर को लेकर दो-तीन सप्ताह से कुछ बयान बहादुर और बड़बोले लोग अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं। लोगों के मन में उच्चतम न्यायालय के प्रति सम्मान की भावना है। हमारा देश हमारी न्यायपालिका में, बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान में और उच्चतम न्यायालय में आस्था रखता है, आदर करता है। मैं इन बयान बहादुर बड़बोले लोगों से हाथ जोड़ कर निवेदन करता हूं कि वे भगवान की खातिर, प्रभु राम की खातिर भारत की न्याय प्रणाली में भरोसा रखें।
प्रधानमंत्री का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है। यह ऐसे समय में आया है जब केस की सुनवाई अपने अंतिम दौर में है। सुनवाई में अड़ंगा डालने वालों को भी इस बात का पता चल गया होगा कि इस पर सभी की नजर है। इसलिए केस की सुनवाई में कोई बाधा न डाले।
प्रधानमंत्री के इस बयान से एक बात साफ हो गई है कि न्यायालय के निर्णय का सरकार समुचित पालन करेगी। यही बात पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था। अब स्पष्ट हो गया है सरकार इस मामले पर बहुत गंभीर है न्यायालय के निर्णय का सरकार की ओर से शत-प्रतिशत सम्मान होगा।