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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने Savarkar: Echoes from a Forgotten Past पुस्तक का विमोचन किया...
विमोचन करने के बाद वेंकैया नायडू ने कार्यक्रम को संबोधित किया... इस दौरान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा... कि वीर सावरकर बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे... वह स्वतंत्रता सेनानी के अलावा लेखक, कवि, इतिहासकार, राजनेता, दार्शनिक और समाज सुधारक भी थे... उन्होंने कहा कि सावरकर जैसे शानदार और विवादास्पद व्यक्ति की जीवनी लिखना आसान नहीं है... उपराष्ट्रपति ने इसके लिए लेखक वीके संपत की सराहना की और कहा... कि सावरकर के व्यक्तित्व के कई पहलू ऐसे हैं, जिन्हें लोग नहीं जानते... बहुत कम लोग जानते होंगे कि सावरकर ने देश में छुआछूत के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन छेड़ा था... उन्होंने कहा कि सावरकर ने रत्नागिरी जिले में पतित पावन मंदिर का निर्माण कराया, जिसमें दलित समेत सभी हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति दी थी... उपराष्ट्रपति ने कहा कि वीर सावरकर जाति रहित भारत की कल्पना करने वाले पहले शख्स थे... उन्होंने भारतीय मूल्यों के प्रति चिंतनशील इतिहास के सही ज्ञान का आह्वान करते हुए कहा... कि वह वीर सावरकर ही थे, जिन्होंने 1857 के विद्रोह को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया... सावरकर ने समाज की 7 बेड़ियां बताई थीं, जिनमें पहली कठोर जाति व्यवस्था थी... उपराष्ट्रपति ने कहा कि सावरकर ने इसे इतिहास के कूड़ेदान में फेंके जाने योग्य बताया था... उपराष्ट्रपति ने सावरकर को भारतीय संस्कृति का विद्वान भी बताया...